समय बीतता रहा फिर दूसरे बेटे के विवाह के समय भी यही घटना घटी। विवाह उपरान्त वही जेठ मास तपती गरमी। उसी वट वृक्ष के नीचे थोड़ी देर विश्राम करने जैसे ही बैठा ब्राहम्ण का बेटा नागिन ने मौका देखा और डस लिया। ये दुल्हन भी उसी तरह मृत पति को अपने साथ ले ससुराल पहुँची।
यही हाल ब्राहम्ण के छहों पुत्रों का हुआ तो ब्राह्मणी सातवें पुत्र का विवाह करने के लिए सबको मना करती रही।
पर समय चक्र चलता रहा। नागिन ब्राहम्ण के छह पुत्र को डस चुकी थी अब सातवें को डसने के बाद उसका बदला पूरा हो जाता। जिस तरह वो निःसन्तान रही उसी तरह वो ब्राहम्णी को भी निःसन्तान करना चाहती थी।
समय अपनी गति से आगे बढ़ रहा था। ब्राहम्ण का सबसे छोटा बेटा एक दिन कहीं से आ रहा था उसी मार्ग से। उसने हाथों में अपने जूते पकड़े हुऐ थे और काँधे पर छतरी लटका रखी थी।
वहाँ एक छोटी सी नदी बह रही थी। नदी में प्रवेश करते समय ब्राह्मण पुत्र ने जूते पैरों में पहन लिए और नदी से बाहर आकर फिर से जूते अपने हाथों में पकड़ लिए। जैसे ही वो ब्राहम्ण पुत्र वट वृक्ष के नीचे से गुजरा उसने कंधे पर टंगी हुई अपनी छतरी खोल सिर पर तान ली।
ये दोनों बात आसपास खेलते हुऐ बच्चों को अजीब लगी। और सारे बच्चे हँसने लगे। उन्हीं बच्चों के साथ एक धोबिन की बेटी जिसका नाम सोमा था वो सबसे कहती है तुम सब बेकार में हँस रहे हो।
यह व्यक्ति महापंडित है। सूखे में रास्ता दिखेगा कीड़े मकोड़े कंकड़ पत्थर सब कुछ देखकर कदम बढ़ाऐगा तो पैरों में जूते की आवश्यकता नहीं है लेकिन पानी में तो साँप बिच्छु का खतरा है तभी इसने जूते पहन लिए।
इसी तरह खुले आकाश में छतरी की जरूरत नहीं पड़ी लेकिन पेड़ के नीचे कौआ और चिड़िया चटक कर सकती है इसलिए इसने सिर पर छाता तान लिया। इसमें हँसने की कोई जरुरत नहीं है।
धोबिन की बेटी के मुँह से यह दोनों बात सुन ब्राहम्ण पुत्र बहुत प्रभावित हुआ। क्योंकि उसके मन की बात बिना किसी संकेत के सोमा समझ गई थी।
Radhika
09-Mar-2023 01:06 PM
Nice
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shweta soni
04-Mar-2023 09:30 PM
👌👌👌
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अदिति झा
20-Nov-2022 06:16 PM
शानदार
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